बिना आकृति रंग रूप के होते है भगवान , यह है सभी धर्मो का सामूहिक सोच , नाम अलग अलग है क्योंकि भाषाएँ अलग अलग हुई । मतलब कोई आकृति , रंग , रूप ,, कुछ नही है भगवान !!!! ऐसा कैसे हो सकता है जो सब कुछ है , सब कुछ में है वो कुछ नहीं !!!!!! ऋग्वेद की मान्यता के अनुसार सबसे पहले ( पुराने समय ) जिसकी पूजा होती थी वह है " अग्नि " , क्या है अग्नि - ... उर्जा ..या द्रव्य का उर्जा में परिवर्तन की प्रक्रिया ॥ हमारी आत्मा भी उर्जा का रूप है जो मरने के बाद परमात्मा ( परम उर्जा ) में जा के मिल जाती है । ज़रा विज्ञानं की दृष्टी से देखें - " अग्नि का स्वरुप " इसी लिए हिदू समाज मरने के बाद अग्नि में मृत शारीर को डाल देता है , अग्नि ( इस्वर )को प्रमाण मान कर शादी करता है , यज्ञ ( हवन) भी अग्नि में करता है । यहाँ तक की सूर्य भी अग्नि का स्वरुप है । जिससे लोग पैदा होते है ( सेक्स ) भी अग्नि का स्वरुप है , जब मनुष्य सेक्स करता है तो अग्नि सामान उर्जा द्रव्य ( मास ) में परिवर्तित हो कर जीवन की सुरुआत करती है ।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी जो सूत्र दिया वो यह है की ..द्रव्य का उर्जा में परिवर्तन असाधारण है।
समाज की भलाई के के लिए ..और आजकल की धार्मिक प्रतियोगीता को देखते हुए मैंने कुछ वैदिक तथ्यों के आधार पैर यह विचार लिखा ..
welfare point of view
Wednesday, September 7, 2011
Wednesday, May 4, 2011
आतंकवाद की फक्ट्री के मेनेजर का अंत
" आतंकवाद की फक्ट्री के मेनेजर का अंत हुआ " ऐसा हुआ मानते है ओसामा बिन लादेन की मौत को । साडी दुनिया में एक बड़ी तादात में लोगों द्वारा स्वीकार किया जाने वाला इस्लाम आज आतंकवाद का पर्याय बन चूका है लोग किसी मुस्लमान की चेक्किंग करने से पहले यह नहीं देखते की वोह किसी देश की सब से बड़ी हैसियत , राष्ट्रपति ( अब्दुल कलम ) है । उन्हें मुसलमानों से डार सा बैठ गया है । सितम्बर ११, २०११ के बाद साडी दुनिया में एक शंशय का माहौल है की इएंको अपने कंपनी में मत ही रखो , इएंके साथ मत ही रहो जाने दो इएन्हे किरायेदार मत की बनाओ इत्यादि । वोह मुस्लमान - जिनकी जागीर है ताज महल , मुहब्बत का पैगाम , एक अजूबा आज नफरत की भेंट चढ़ चूका है ।
सच यह है की ऐसा नहीं था इस्लाम ओसामा / सितम्बर ११ २००१ के पहले , शायद इस शैतान की मौत के बात सब कुछ ठीक हो जाये ऐसा है मेरा " वेल्फैर पॉइंट ऑफ़ विउ "
सच यह है की ऐसा नहीं था इस्लाम ओसामा / सितम्बर ११ २००१ के पहले , शायद इस शैतान की मौत के बात सब कुछ ठीक हो जाये ऐसा है मेरा " वेल्फैर पॉइंट ऑफ़ विउ "
Tuesday, September 28, 2010
डाटा बेस की उपयोगिता
क्या है डाटा बेस ? कुछ नहीं एक डाटा के बेस ( आधार ) के अलावा । पुराने ज़माने में जिन संग्रच्नाओ पर कुछ आंकड़े दर्ज किये जाते थे वही व्यवस्था , प्लान डाटाबेस कही जाती है । साधारण भाषा में तालिका जिसमे क्षितिज और उर्ध्व रेखाएं खींच कर बनाया गया आधार , जिसमे आंकडे भरते है । aab कंप्यूटर में इस व्यवस्था का बड़ा ही महत्व है इसके आधार पर बड़े बड़े जटिलताओं को सुल्ज्हा लिया जाता है । हम अगर हिन्दुस्तानी भाषाओँ का आधार संस्कृत की बात करे तो व्याकरण की व्यवस्था इसी पर आधारित है । मेरा मतलब शब्द रूप ,धातु रूप की व्यवस्था से है जो कंप्यूटर की भाषा में डाटाबेस कहलाता है , और उनका अनुप्रयोग एस क्यू यल कहलाता है , यानि की हम जो बोलते है वोह एस क्यू एल है और अक्षर और उनका संगठन मास्टर डाटाबेस है ।
दुनिया की भलाई के लिए आवश्यक है कि वोह इस संस्कृत पर ध्यान दे । - पंडित उमा पति
दुनिया की भलाई के लिए आवश्यक है कि वोह इस संस्कृत पर ध्यान दे । - पंडित उमा पति
Monday, September 20, 2010
संचार तंत्र की कमी
दुनिया में कुछ देश जहाँ संचार तंत्र की कमी है बहुत ही कम विकास हुआ है , तुलना हम उन देशो से करे जहाँ यह सब ज्यादा है , सस्ता है या आसानी से उपलभ्द है तो उनका विकास तेजी से हुआ है , भारत जैसे विकास शील देश ने इस पर ध्यान दे कर काफी समज्ह्दारी की है , यह देखेते हुए दुनिया में विकासशील देशो को सीख लेनी चाहिए , -उनकी भलाई के लिए जारी - पंडित उमापति
Friday, August 27, 2010
सरदारों (पजाबी) की कमी वाली दुनिया
अरे भाई हमने तो सुना है की सरदार और आलू दुनिया में हर जगह मिलते है, एक आश्चर्य यह है की अफ्रीका का एक देश जिसे कांगो गणतंत्र कहते है , में सरदारों की संख्या नहीं के बराबर देखने में आती है , समाज की भलाई के लिए क्या भाई सरदार लोग ! इधर क्यों नहीं आये बल्ले बल्ले ..
Friday, August 20, 2010
भारत की अर्थव्यवस्था
अंधाधुंध कोम्पुतारिकरण देश के लिए नुकसानदायक है , भलाई के लिए आवश्यक है की हम किसी व्य्स्वस्था का
कोम्पुतारिकरण करने से पहले उसका फ़ासिबिलिटी परिक्षण कर लें वरना बिजली की कमी और लोगों की अधिकता वाले देश अर्थव्यवस्था दिन परदिन बिगडती जाएगी , कई जगहों हमने पाया की कुल कंप्यूटर और उनका खर्चा समतुल्य मानव से अधिक है और खास तौर पर भारत जैसे बेरोजगारी भरे देश में , अधिक से अधिक लोगों का योगदान बजाय कंप्यूटर ke behtar hoga .- "pandit uma pati"
कोम्पुतारिकरण करने से पहले उसका फ़ासिबिलिटी परिक्षण कर लें वरना बिजली की कमी और लोगों की अधिकता वाले देश अर्थव्यवस्था दिन परदिन बिगडती जाएगी , कई जगहों हमने पाया की कुल कंप्यूटर और उनका खर्चा समतुल्य मानव से अधिक है और खास तौर पर भारत जैसे बेरोजगारी भरे देश में , अधिक से अधिक लोगों का योगदान बजाय कंप्यूटर ke behtar hoga .- "pandit uma pati"
Monday, August 9, 2010
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